हम भी परिंदों की तरह आसमान में उड़ते हैं

हम भी परिंदों की तरह आसमान में उड़ते हैं
आओ ! हम भी चांद-सितारों से मिलते हैं
परिंदा जब अपने परों से आसमान नापते हैं
कई निशाने हैं उन पर मगर कहाॅ॑ घबराते हैं
ना देख कभी तू अपने हाथों की लकीरों को
खुला आसमान है आओ ! बाजुऍ॑ आजमाते हैं
---राजकपूर राजपूत''राज''
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