Desh bhakti Kavita Hindi
ये सरहदों का सुनापन है
हां ,यही मेरी पहचान है
ये तनहाई, ये अकेलापन
तेरी यादों में मेरी जान है
बेशक मैं खड़ा हूं सीमा पर
मेरे सर पे मां का वरदान है
मेरी ऑ॑खें निहारती है दिन-रात
मेरी सांसों में हिन्दुस्तान है
तेरी खुशहाली में मेरा सुकून है
मेरे देश की धरती मेरा शान है
खुश रहना तुम अपने घरों में 'राज़'
सरहदों पर खड़े वीर जवान है !!
हर देश की सीमा है
हर देश की अपनी गरिमा है
मगर मेरे देश में कुछ लोग ऐसे रहते हैं
जिसे खुद का देश नहीं भाते हैं
देश का सम्मान का ठेस पहुंचाना
अपनी आदत में शामिल करते हैं
देश के इन ग़द्दारों को
क्या सभी देशभक्त पहचान करते हैं !!!
---राजकपूर राजपूत
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