मेरी मंजिल है जहाॅ॑ कविता

मुझे जाने दो वहां 


मुझे जाने दो वहां
मेरी जान है जहां

बरसों की तलाश थी
मेरी मंजिल है जहां

मेरा दिल नहीं लगता है
मेरा प्यार न हो जहां

तुम ठहरों मेरे पास में
तेरे बगैर तन्हा हूॅं मैं यहां

कौन जाने कल क्या होगा
अभी तो मैं जी लूं यहां

आखिर मरना है सबको
आओ जी लेते हैं मैं और तुम यहां

-राजकपूर राजपूत 
मेरी मंजिल है जहां


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