अंतर

किसी को समझाने के लिए
नहीं लिख सकता हूं 
कोई शब्द
और ना ही
ठहरा सकता हूं
किसी को 
अपने प्रेम में
वो तो एहसास है
उनका मेरे प्रति
जब तक है
मेरे पास है
अहसास के
टूटते ही
मानों दुश्मन पास है
---राजकपूर राजपूत''राज''


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