चाय in my cup of tea Poem

in my cup of tea Poem 

 मेरी चाय की चुस्कियों में

मेरी चाय की चुस्कियों में
दिनभर की थकावट थी
जब शाम हुई तो पी रहा था 
और...
जिंदगी तेरी कैसी आहट थी
मेरी हर चुस्कियों में तेरा नाम था
मैं जानता हूं मुझे कुछ नहीं मिला
जब भी ढूंढ़ा तेरा नाम था
ये भटकना मेरा
फिर तेरी ओर पलटना मेरा
तू मिल जाएगी मुझे यकीन था 
ये वक्त मुझे कब तक भटकाएगा
तू मंजिल है मेरी
तेरे सफ़र में हूं
आखिर तू एक दिन मिल जाएगा 
हर चाय की चुस्कियों के साथ
मेरा खुद से वादा था !!

---राजकपूर राजपूत

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