ऐ ! चाॅ॑द तू मुझे तन्हा बहुत लगता है

ऐ ! चाॅ॑द तू मुझे तन्हा बहुत लगता है
सितारों के बीच मेंं अकेला बहुत लगता है

आसमां सजे रहते हैं सितारों से मगर
तेरे निकलते ही वो दूर बहुत लगता है

तेरी मुस्कुराहटों के लाखों दीवाने हैं मगर
तेरे चेहरे पे मुझे ग़म बहुत लगता है

चाॅ॑द के दर्द को समझ सके ना कोई यहाॅ॑
शबनम है जमीं पे रोया है बहुत लगता है

दिल में दर्द है कितना कह नहीं सकते "राज'
रात के सफ़र में चाॅ॑द तन्हा बहुत लगता है
---राजकपूर राजपूत''राज''
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