प्रेम या नफ़रत

ज़रूरी नहींं कि 
आप अच्छे या बुरे हो
किसी के प्रेम 
या नफ़रत के लिए
यह तो केवल
सामने वाले के
इरादे हैं
या फिर
उसके सीने में
करूणा या घृणा के भाव 
हो सकते हैं
जो काफी है
किसी की नज़रों में
 खटकने के लिए 
या फिर
बसने के लिए
और जिसके दिल में
एक बार भाव जाग जाए
तो फिर मुश्किल है
निकालना दिल से
किसी के लिए
---राजकपूर राजपूत''राज''
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