भाव

सूरज और चांद
अपनी गति में
निरंतर प्रकाशवान है
निस्वार्थ भाव से
चुपके चुपके से
सदैव अकेले में
लेकिन
सूरज के डूबने पर
ये तारें 
बहुत डिमडिमाते है
जो ना जाने
कौन सा भाव दिखाते हैं
समझ से परे
---राजकपूर राजपूत''राज''


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