एक-एक नाम लिए तैंतीस कोटि देवता का

one name of god 


एक- एक नाम लिऐ तैंतीस कोटि देवता का
आखिर किसको छोडु , डर है हरेक का

ये नारियल ,फूल,चुनरी,पैसा समर्पण मेरे प्रेम का
निकाल लेते हैं भगवान से भी ,चढा़वा है पुजारी का

जितने ये सफेदपोश घुमते हैं इस देश में
मतलब निकालने खा लेगे सब्जी तुम्हारे घर का

चाॅ॑द -सितारें तोड़ने वाले लाखों दीवाने हैं यहाॅ॑
कंघी करके सुबह से निकले है,बादशाह है गलियों का

देखना कभी गौर से शीर्षक,एंकर ,बहस के मुद्दे
रखेगे अक्लमंदी से ये मीडिया, प्रचार हो किसी पार्टी का

अपनापन ऐसे दिखाते हैं जैसे ख्याल नहीं रख सकता हूं खुद का 
मगर जब जरूरत होती है ऐसे निकलते हैं मतलब नहीं है किसी का  !!!

---राजकपूर राजपूत''

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