देखती है ऑ॑खें बहुत कुछ

देखती है ऑ॑खें बहुत कुछ
मगर दिल की बात मत पूछ

उसकी बातों में दम नहीं है
जानता हूॅ॑ लेकिन मत पूछ

जहरीली हवा है चारों ओर
जीना या मरना है मत पूछ

वो नशें में हैं दावे पे यकीन नहीं
सादे में कहेंगे वो बात मत पूछ

देखें नहीं पलट के मुझे यकीन था
अब प्यार है कितना मत पूछ

मौका ढूंढ रहा है आघात करेगा
मीठा है कब करेगा मत पूछ

मूॅ॑छ मोड़ते रह गए थे लंकापति
जला के चलें गए कौन मत पूछ

अब चालाकियाॅ॑ सबमें है राज़
शह और मात कितनी है मत पूछ
---राजकपूर राजपूत''राज''
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