पत्थर मेंं भी कई फूल खिलेंगे

पत्थर मेंं भी कई फूल खिलेंगे
जिंदगी है जिसमें कई रंग मिलेंगे

पल दो पल की जिंदगी है यारों
गले से लगा लो फिर ना मिलेंगे

डर ना जाना इन आंधियों से तू
टकरा जाओ ये फिर ना मिलेंगे

हॅ॑सते हैं वही लोग जो लाचार है 
कर गुजर गए तो फिर ना कहेंगे

खुशियो की तलाश है तो याद रखना
अपने ही कामों से ये 'राज' मिलेंगे

---राजकपूर राजपूत''राज''


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