मेहंदी है रचने वाली अब हाथों में

Mehndi Hai Rachane wali Poem Hindi  
                  (१)
मेहंदी है रचने वाली अब हाथों में
पिया का नाम है जिसकी सांसों में

खिल उठते थे चेहरा इसी उम्मीद में
गुजरेंगे दिन दुःख सुख के सावन में

समर्पण का प्रतीक है ये रंग इश्क में
अजनबी सताने लगे हैं अब ख्वाबों में

ज्यों- ज्यों मेहंदी के रंग चढ़े हाथों में 
सपने सजाते गए वो जिंदगी की राहों में

                    (२)
मेहंदी के जब रंग हाथों में पड़ जाते हैं
बाबुल का घर-आंगन सब छूट जाते हैं

यही नियति है यहाॅ॑ हर लड़कियों की
कुछ रंग धूल जाते हैं कुछ के चढ़ जाते हैं !!!!

Mehndi Hai Rachane wali Poem Hindi


प्रेम में अधूरापन जब लगा
धरती विरान लगी 
मेरे ठहरने के लिए
जगह कम पड़ी
जैसे बादल उड़कर चले जाते हैं
कई खण्डों में
बरसने के लिए
हरियाली नहीं मिलती
ठीक वैसे ही
मेरा प्रेम
अवलंबन न पा कर हो जाता है
अधूरा !!!!

मैं कभी ये नहीं कहता हूं कि
तुम मेरे शर्तों अनुसार बदलो
मैं तो प्यार को 
तेरे शर्तों अनुसार ढालना चाहता हूं
जहां तुम्हें स्वतंत्रता मिलें
आत्मसम्मान और समानता !!!!

अपने शर्तों पर हर कोई टिका है
रिश्ते उनके और मेरे भी
वो तोड़ना भी नहीं चाहता है
अपने शर्तों को छोड़ना नहीं चाहता है
जिसने मान चुका है , समझदारी
किसी जीवन दर्शन की तरह
बदलाव न ला सके किसी मुर्खों की तरह !!!!

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---राजकपूर राजपूत'राज'

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