Dil-main-bas-thoda-sa-jajbaat-hai-आजकल जज्बातों की दुनिया नहीं है । कोई जज़्बाती नहीं होना चाहता है । सब अपने दिमाग में एक स्थापित बुद्धि अनुसार जीते हैं । जिसे छोड़ना नहीं चाहते हैं । ऐसा नहीं कि बिना जज्बातों के कोई रह सकता है लेकिन उस बौद्धिक स्थिति को भांपते हुए । न कि किसी हद तक जाकर । जहां मतलब निकल जाए , वहां तक ठीक है ।
जो कोई जज़्बाती है व्यक्ति बचा है । उसे भी तोड़ने, लुटने के लिए । लोग अपने बौद्धिक स्तर पर कोशिश करते हैं ।
प्रस्तुत है इस पर कविता हिन्दी में 👇👇
Dil-main-bas-thoda-sa-jajbaat-hai
दिल में बस थोड़ा सा ज्जबात है
उस पर भी पल- पल का आघात है
कहाँ आया मैं तेरे साथ इस दौड़ में
कही ज्यादा कही कम बरसात है
दुनिया को बेवकूफ समझते हो शायद
गिरे हुए इंसान क्या तुम्हारी औकात है
दिलों- दिमाग में उसके पैसा ही पैसा है
लूट खाऐगें दुनिया को कैसी ये बिसात है
फिक्र न कर ऑ॑धियों को देख के राज
चलते है सफर में तुझमें भी कुछ बात है
------राजकपूर राजपूत ''
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