आज की तारीख में चालाकियां अच्छा है

आज की तारीख में चालाकियाॅ॑ अच्छा है 
इश्क में रिस्क ना हो तो सफ़र अच्छा है

दुनिया में कई इरादे छूपाएं घुमते है लोग 
आघात करेगा सावधानी बरतना अच्छा है

रात के अंधेरे में नौ-दो-ग्यारह हो गए थे जो 
दिन के उजाले मेंं बेशक वो आदमी अच्छा है

झूठ, फरेब और हकीकत ला देता सामने मगर
दुनिया में शोर मच जाएगा नाम तेरा अच्छा है

अपना वजूद खोता जा रहा है इंसान वही पर
सहुलियत के हिसाब में झूठ सच से अच्छा है

ख्वाहिशें दबी रह गई उसके इश्क के खातिर
पर्दे में रहने दो "राज़" पर्दे में आदमी अच्छा है

-----राजकपूर राजपूत "राज"






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