har-fikra-ko-dhuye-main- निश्चित रहना बहुत कठिन कार्य है । लेकिन रहा जा सकता है ।बस ध्यान रखने की जरूरत है कि जो बातें हमें अच्छी नहीं लगती है । वह दूसरों को भी बुरी लग सकती है । एक सीमा का निर्धारण जो संयम से प्राप्त होगी । इस बात का ख्याल रखना ही समझदारी है । दूसरों की सम्मान देने से सम्मान मिलता है ।
har-fikra-ko-dhuye-main
हर फ़िक्र को धुऍ॑ में उड़ाना जरूर
मगर भूल से कभी ना करना गुरूर
वो दिल तोड़ना नहीं चाहते किसी का
लेकिन फोन से झूठ बोलते हैं जरूर
झूठ फरेब की दुनिया है अब यारों
सच झूठ की पहचान कर लो जरूर
साथ ना दे यहाॅ॑ कोई गम नहीं राज
बाजुओं के आगे आसमां झुकेगा जरूर !!!
Kavita-Hindi-har-fikra-ko-dhuye-main-
दो चार दिन की मुलाकात और बोलना शुरू
तर्कशील होने का दावा था इसलिए बोलना शुरू
उसने यहां तक न सोचा कोई पलट जवाब देगा
जब मिला जवाब तो गाली गलौज करना शुरू
उसके सर तन से जूदा जायज़ है
हमारे विरोध को भी गाली गलौज करना शुरू
इतने ही जाति प्रथा का वो विरोधी हैं
आरक्षण मिला और की मांग करना शुरू
कैसे जमाना बदलेगा कौन बताए
खुद समझें नहीं दूसरों को समझाना शुरु !!!
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___ राजकपूर राजपूत
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