Hindi Article and Poetry खुद को समझना और दूसरों को भी । व्यवहारिक रिश्ते बनाने में आसान होता है । दूसरों की चाल, ढाल, व्यवहार की प्रवृत्ति को समझना ज्ञान है । सत्रह बार माफ़ करने के बाद भी पृथ्वीराज चव्हाण नहीं समझ पाएं कि कुछ लोग माफी के लायक नहीं होते हैं । अपने व्यवहार की गर्वोक्ति और सामने वाले की चालाकी की समझ कमी की वजह से देश गुलाम रहा । अपने हितों को प्राथमिकता देना आजकल का फ़ैशन है । जो दूसरों की भलाई के बारे में सोचते हैं,, उससे ही ज्यादा मलाई खाते हैं । ठगे जाते हैं । क्योंकि चालाकी को ज्ञान, समझदारी मानते हैं । आजकल आलोचना थकाने के लिए किया जाता है । सुधारने के लिए नहीं । आलोचना करके अपने हिसाब से ऐजेंडा सेट करते हैं । सियासत केवल राजनेता नहीं करते हैं । सामान्य आदमी भी माहिर हैं । बहुत कम मिलेंगे अच्छे लोग,, जिसकी कोई पहचान नहीं है । बिना राजनीतिक व्यवहार के ।
याद रखिए कुछ लोग अंधभक्त कह सकते हैं लेकिन अपनी चमचागिरी नहीं बताते हैं ।
ज्ञान सजग है तो चेतना गड़बड़ होने की स्थिति में असहज महसूस करने लगते हैं । चेतना ज्ञान को वास्तविक रूप देते हैं । जिसके पास है कभी गुलाम नहीं हो सकते हैं ।
Hindi Article and Poetry
थके से रहने वाले
विचार में डुबने वाले
मतलब की तलाश में
डरे-डरे से रहने वाले
बचकर निकल गए
सच से डरने वाले
माइंड सेट नहीं है
दर्शन है जीवन का
चालाकी को समझदारी कहने वाले
सम्पूर्ण सच्चाई स्वीकार नहीं
ऐजेंडे पर जीने वाले !!!
पता करों कोई मरा है क्या
आजकल वो डरा है क्या
उसने गोलियां चलाई अंधाधुंध
उसे बचाने सभ्य खड़ा है क्या
आतंक कभी खत्म न होगा
कानून से कोई डरा है क्या
तथाकथित बुद्धिजीवी महान है
तर्क से फर्क में लड़ा है क्या !!!
शाम टटोल कर सो गया
दिन भर का बोझ ढो गया
हारा भी कुछ जीत हुई
थका शरीर और डोल गया
शाम टटोल कर सो गया
एक उम्मीद की आस में
नई शुरुआत की विश्वास में
हिसाब किताब सब जोड़ गया
रात आई और मैं सो गया
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रात भर ओस की बरसात हुई
फिर नई सुबह की शुरुआत हुई
पेड़ों पर रंगत छाई ,
आदमी पहचानने लगे अपनी परछाई
कुछ अधूरे अरमानों से मैं दौड़ गया
शाम टटोल कर सो गया !!!!
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