मतलब साधना और प्रेम करना Prem-aur-matlabi-duniya- एक धोखेबाजी का हिस्सा है । जहां अत्यधिक अपनी सुविधा के लिए सतर्कता दिखाई जाती है । ऐसे रिश्तों के बीच में कहीं गई दिल की बातें सुनी नहीं जाती है । बस सामने वाले का मन रखने के लिए बातचीत होती है । जिससे कोई लगाव नहीं होता है । ऐसे लोगों के बीच में प्रेम का स्थान नहीं होता है । केवल अच्छी बातों की तरह बातें और सभ्यता का दिखावा होता है ।
कविता हिन्दी में 👇👇
Prem-aur-matlabi-duniya
अब के लोगों को जब देखना
अच्छी बातें नहीं नीयत देखना
संबंध उतने ही अच्छे हैं उसके
जितना उसका मतलब देखना
ज्ञानी ध्यानी कुछ नहीं दुनिया में
उसकी बातों पे सियासत देखना
सीख जाते तुम भी धोखेबाजी
जरूरत में बहाना बनाते देखना
झूठ भी बोलते हैं तो बड़ी सफाई से
उसके रिश्तों में धोखेबाजी देखना
तुम उसे चाहते हो बहुत " राज "
उसकी आंखों में पछतावा देखना !!!
अभी तुने देखा कहां है
अभी तुने देखा कहां है
अभी तुने समझा कहां है
तुम प्यार में हो बहुत
इसलिए समझा कहां है
लोग बेवजह झूठ बोलते हैं
आजकल एतबार कहां है !!!
सब कुछ रखा जा सकता है
सब कुछ रखा जा सकता है
किसी के सामने
नफ़रत भी सुना जा सकता है
घृणा भी देखा जा सकता है
दूसरों की बुराई भी सुना जा सकता है
न देखा जा सकता है तो
प्रेम
समझा जा सकता है सबकुछ
नफ़रत भी, घृणा भी
जलन भी , ईर्ष्या भी
नहीं समझ सकते हैं तो
प्रेम
दावा कुछ भी कर सकते हैं
बातों कुछ भी कर सकते हैं
नहीं कर सकते तो
प्रेम !!!!
उसे सुविधा होगी
आदमी बेवकूफ बना रहे हैं
अपनी नीयत बता रहे हैं
अभी तक तो ठीक था
अभी दूरी बना रहे हैं
उसे सुविधा होगी
या मजबूरी होगी
इसलिए बहाना बना रहे हैं !!!!
मतलबी दुनिया
कहीं भी रख सकते हो
कुछ भी
सिवाय प्रेम के !!!
तुम जीने की आशा करते हो
तो किसी से प्यार करते हो
कोई निराशा में जी नहीं सकता है
इसलिए प्यार की तलाश करते हो !!!!
प्रेम वहीं जोड़ नहीं पाता है
रिश्तों को
जहां मतलब निकल आता है
छलावा हो जाता है प्रेम
दिखावा हो जाता है प्रेम
प्रेम का उपयोग ठग हो जाता है !!!
पत्थर पड़ा रह गया वहीं पर
न टूटा न फूटा जमीं पर
लोगों का क्या है
देखते-देखते प्यार आया पत्थर पर
फूलों का क्या है
मुरझाया और बिखर गया कहीं पर !!!
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