आदमी आज उन सभी चीजों को छोड़ रहा है ।Aadmi aur Uske Aadrsh जो एक अच्छा इंसान बनने के लिए जरूरी है । उन भावनाओं को छोड़ रहे हैं जिसे पहले के लोग जीने के लिए जरूरी समझते थे । उत्तम चरित्र, आदर्श जीवन, अब दिखाई नहीं देता है । लोग अपने मतलब में गिर गया है । ऐसा नहीं कि वह नहीं जानता है कि उसका चरित्र गिर चुका है । जानता है , फिर भी गिर रहा है । अब के लोगों का मानना है कि व्यक्तिगत जीवन में ऐसे चरित्र और आदर्शों का कोई मायने नहीं है । जो जीवन को बेहतर बना सके । इसलिए सहुलियत के मार्ग का चुनाव कर लिया है । पढ़िए इस पर बेहतरीन कविता हिन्दी में 👇👇
Aadmi aur Uske Aadrsh
रंग दिखा रहा है आदमी
जैसा भाग रहा है आदमी
अपनी जगह पर खड़ा हुआ
फिर भी भाग रहा है आदमी
बातों ही बातों पे कहता हुआ
बहुत इतरा रहा है आदमी
सेट है अपनी मानसिकता पर
एजेंडा चला रहा है आदमी
चालाकी गवारो में नहीं दिखी
पढ़ें लिखें में आ गया है आदमी
बहस ही करना है बहुत उसको
कई सवाल गा रहा है आदमी
सेलेक्टिव मुद्दों पर एक्टिव हैं
मतलब का रो रहा है आदमी
दुनिया बड़ी चीज है यारो
खुद को बड़ा बता रहा है आदमी !!!
आदमी का चरित्र
अच्छी बातों से उस पार
अब सोचता है आदमी
हैसियत अच्छी बातों से नहीं
पैसों से है आदमी
गिर कर भी उठ जाएगा
लेकिन लाज कहां आएगा
गुनाह करके भी
खुद को बचा लेता है आदमी
अच्छी बातों से उस पार
अब सोचता है आदमी
खुद बैठता है मन और दिमाग पर
आत्मा बसता है हृदय पर
लेकिन सोचता है
मैं आत्मा को नहीं मानता
कौन है ईश्वर मैं नहीं जानता
स्वयं का हित सर्वोपरि है
इसलिए पाप पुण्य से नहीं डरता है आदमी
अच्छी बातों से उस पार
अब सोचता है आदमी
स्वार्थ की लोलुपता
आंखों में कामुकता
भरी हुई है जिंदगी
परवाह नहीं है
अब किसी की जिंदगी
अपने मतलब पर जीता हुआ आदमी
अच्छी बातों से उस पार
अब सोचता हुआ आदमी
फ़ायदा लेना ही बुद्धिमत्ता है
जितना फायदा लेना उतनी योग्यता है
इतरा रहा है बुद्धिजीवी होने पर
गर्व है अन्य जीवों को खाने पर
संवेदनशीलता से शून्य होता हुआ आदमी
अच्छी बातों से उस पार
अब सोचता हुआ आदमी !!!
रोजी रोटी खुब खाय, फिर भी न आघाय
लानत, आरोप सरकार पर मुफ्त के खाय
अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पे नफ़रत फैलाय
परोसें झूठ को और सच बताय
तथाकथित बुद्धिजीवी कहलाय !!!
आदर्श का मापदंड
स्वार्थ के मापदंडों से छोटा है
जिस दिन पैसा देखेगा
आदर्श घुटना टेकेगा!!!
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Aadmi aur Uske Aadrsh |
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