अत्यधिक भावुक और तार्किक के दोष -sentiment-and-reasoning-article-hindi
भावुक और तार्किक आधार , दिल और दिमाग से है । अति करने से बुराई दोनों में है । भावुक लोग अपनों की तलाश से दुखी होते हैं । वहीं तार्किक लोग अपने लिए इच्छित वस्तु की तलाश से असंतुष्ट होते हैं ।
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भावुकता जहां विचारों का फैलाव होने से रोकता है । घिर घिर एक ही बातों में स्थिर होते हैं । निकल नहीं पाते हैं । किसी विचार से । जो थकावट पैदा करती है । शारीरिक कमजोरियां देती है । और उत्साह हीन हो जाते हैं । वहीं तार्किक लोग तर्क करके संदेह/शंका को जन्म कर लेते हैं । अत्यधिक सतर्कता मुर्खता को जन्म देती है । तर्क ऐसे पैदा करते हैं जो अत्यधिक व्यक्तिवादी बना देते हैं । जो समाज या अन्य लोगों के किसी काम का नहीं होते हैं । तर्क किसी सत्य को परिभाषित होने नहीं देते हैं और न ही विश्वास । इसे सब अपने हिसाब से उपयोग करते हैं । जिससे इंसान सुविधावादी हो जाते हैं । ज्यादातर तार्किक लोग तुलनात्मक नीयत रखने के कारण खुद की गलतियों को सही साबित कर लेते हैं । जो सबके सामने दिखाई देते हैं लेकिन तर्क दे नहीं पाते हैं ।
बेहतर होगा दोनों ही गुणों में परांगत होना । जो समय के अनुसार सत्य को पहचान सके । जिसे बहुत कम ही लोग कर पाते हैं । लेकिन जो कर पाते हैं । वहीं इंसान इस धरती पर सर्वश्रेष्ठ है । शिक्षित हैं ।
-राजकपूर राजपूत
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