जैसे तैसे - कविता Jaise-taise-jite-hai-log-kavita-hindi

Jaise-taise-jite-hai-log-kavita-hindi- आदमी क्या है? आदमी क्या चाहता है ? अपनी - सफलता । वो सबको दिखाना चाहता है कि वह मनचाही वस्तु या चीज़ की प्राप्ति कर सकता है । अपनी इसी सोच की प्राप्ति के लिए गिर जाता है । इतने गिर जाते हैं कि आदमी नहीं रह जाता है । लेकिन सफलता मिल जाती है । ऐसी सफलता को देखकर जो व्यक्ति लालयित होते हैं । वो भी गिरने के लिए तैयार होते हैं । इस पर कविता हिन्दी में 👇👇

Jaise-taise-jite-hai-log-kavita-hindi

 (१)

जैसे तैसे पैसे
कमाने की तरकीब
कोई बुद्धि की श्रेष्ठता नहीं है
जिसपे गर्व किया जाय
बेशक इससे सफलता मिल सकती है
लेकिन आदमी नहीं मिलता है !!!!
              (२)
मैं तो भूल ही गया समझौतों को
उसके प्यार में रोता रहा जिंदगी भर 
वो निभा रहा था रिश्तों को चालाकी से
अपने शर्तों पे हंसता रहा जिंदगी भर
गलतफहमी में भी जिंदा रहते हैं लोग मगर
कुछ न मिला ऐसी दीवानगी में जिंदगी भर  !!!


तुम्हें शिकायत है

लोग गंगा नदी को पूजते हैं

तू पूजना नहीं चाहता

इसलिए तुम्हारा ध्यान है

पास बहते नाले पर

उसकी बदबू पर

जिससे दूर भागते हैं लोग

तुम जाना चाहते हो पास

सबको लेकर साथ

जिसकी चर्चा करते हो

कैसे उपयोगी बना सकते हैं

गंगा नदी से बेहतर

नाले को

ताकि बताया जा सके

नाले का महत्व

गंगा नदी से बेहतर !!!!


तुम्हारी शिकायत

हर चीज से है

तुम क्या चाहते हो

फिक्स्ड नहीं है

लेकिन तुमने सबको सुनाई

अपनी शिकायत

तुम्हारा निरंतर यही काम है !!!

इन्हें भी पढ़ें 👉 अक्लमंदों ने रिश्तों से समझौता कर लिया 

Jaise-taise-jite-hai-log-kavita-hindi.


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ