प्रेरित- अपनी चाहत की ओर inspired-your-own-want-toward

 inspired-your-own-want-toward   जिस ओर प्रेरित होते हैं । 
उस ओर चिंतन मनन और लगाव बढ़ने लगता है । प्रेरित होना हमारी चाहत को इंगित करती है । जिसे प्राप्त करने के लिए सदा कोशिश होती है । तड़प उठती है । 

एक ऐसी भावना जो दिल में होती है । जिससे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं । ऐसे में समान प्रवृत्ति वाले लोगों से आत्मिक जुड़ा महसूस होता है ।उनका समर्थन होता है । एक सहारा महसूस होता है ।चाहे कोई दूसरा ही उसके विचारों की अभिव्यक्ति या प्रचार करें । स्वागत होता तथा बल मिलता है । प्रेरित होने के लिए ।  भावनाओं से भावनाओं का जुड़ाव रहता है । ऐसे में लाजमी है एक समूह का निर्माण हो । अपने विचारों को जिंदा रखने के लिए । एक संस्कृति और संस्कार के रूप में । हस्तांतरित करने के लिए, आने वाले पीढ़ी को । जिसे बढ़ाने के लिए सदा प्रेरित रहते हैं ।

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आलोचना सीखाया 

खुद को नियंत्रित करना 

यही सोच कर 

सभी आलोचक 

कबीर होते हैं 

आत्मचिंतन किया 

और प्रभावित हुआ 

क्योंकि उसने सबूत के तौर पर 

कबीर का नेमप्लेट लगाया था 

इस तरह 

लोगों ने कबीर पंथी होने का ढोंग किया 

विचार थोपते हुए 

आलोचनाएं की 

कबीर जैसे ज्ञानी वैज्ञानिक बनकर 

जिहादी मानसिकता से !!!!

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