ghazal on love
तुमको अगर जाना ही था
मुझसे दिल लगाना नहीं था
मैं खुश था अपने हालातों से
मुझसे प्यार जताना नहीं था
तुम्हें तकलीफ़ होगी बहुत इसलिए
मेरे साथ तुझे आना नहीं था
सफ़र में चलते हो तो याद रखते
फूल ही फूल तुझे चुनना नहीं था
ऐ! दिल तू भी समझ जा उसके धोखे से
ऐरे-गैरों से दिल लगाना नहीं था !!!!
ghazal on love
इतने दिनों का साथ
सामान्य व्यवहार था
जिसे मैंने समझा प्यार था
मैं और तुम अलग-अलग ही रहे
कोई जुड़ाव न था !!!!
न प्यार हुआ
न यार हुआ
इस तरह से अलग रहे
न ग़ैर रहे
न अपना हुआ
रिश्ते इतने कमजोर थे
कभी इधर हुआ
कभी उधर हुआ !!!
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1 टिप्पणियाँ
Nice
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