man's duplicity gazal in hindi
आदमी के दोहरे रवैए से डर लगता है
नफ़रत की बातें भी इस तरह प्यार लगता है
जब आदमी मतलब के फायदे में बोलते हैं
अच्छे-बूरे कौन समझे यूॅं ही तकरार लगता है
आखिर कब तक संभालोगे ऐसे लोगों को
रिश्ते तोड़ दिया मतलबी लोगों की बेकार लगता है
उसकी आदत में है शामिल आरोप लगाना
उसके अहंकार से अब डर लगता है
तुम सुनने को तैयार होते तो रिश्ते सुधर जाते
मगर रोज-रोज की तेरी बहस बेकार लगता है
तुम चले भी जाओ मेरी जिंदगी से तो अच्छा है
तुम खुश मैं खुश तुम्हारे रिश्ते तकरार लगता है !
मतलब पे शामिल तो सब होते हैं
बिना मतलब के कब होते हैं
तुम दो शब्द औकात के बताते हो
बता कथनी-करनी में अंतर कब होते हैं !!!
0 टिप्पणियाँ