Ghazal Politics
सियासत में इतने गिर गए हैं
आदमी जिंदा है कि मर गए हैं
सच को सच नहीं कह सकते हैं
पता नहीं हौसला है कि डर गए हैं
कहॉं बोलना है कहॉं चुप होना है
समझ नहीं फ़ायदे में मर गए हैं !!!
Ghazal Politics
सियासत में इतने गिर गए
वे लोग जो दोहरे मापदंड के हो गए
फिलिस्तीन के लिए आवाज उठाई
बांग्लादेश के लिए मर गए !!!!
कितना उदार था
उनका लेखन
फिलिस्तीन के लिए
बम जब उड़े
लोगों के चीखें सुनें
साहित्य में मार्मिक चित्रण
उनके ही कहें
डर लगता है ऐसे लोगों से
अपनी बिरादरी जो समझें !!!!
पालिटिक्स जो जाने
अपनी बिरादरी जाने
अपनी गलतियों को छोड़कर
तुम्हारी गलतियों को जाने
निर्लज्जता की भी हद है
अपराध सिद्ध फिर भी निर्दोष माने !!!!
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राजकपूर राजपूत
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