खुशियां सजी है poetry moment


poetry moment

 अंबार लगा है खुशियों का

ये नदी ये तालाब, 

ये पर्वत ये झरने

ये फूल ये पत्तें

सबके क्या कहने

निहार लो जी भर के

ये नहीं है किसी का

जिस पर हक़ जमा सके

कोई !!

poetry moment

दुनिया को न देख

खुद को ही देख

खुद को देखेगा

खुद को समझेगा

तब कहीं

समझ पाओगे

दुनिया क्या है

तुम्हारा जीना क्या है !!!


रो लेना चाहा

जी भर

किसी के कांधों पे सर रखकर

बस सहारा न मिला

मेरे आंसू न गिरे

दिल के दर्द सीने में रहें  !!!!

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