तू भी हमारी तरह ghazal on love_

ghazal on love_

 तू भी हमारी तरह

इश्क की बीमारी की तरह

न कह पाए न सह पाए

दर्द ये लाचारी की तरह

अपनी धुन में चला जा रहा हूॅं

नशे में शराबी की तरह

आज है कल का क्या पता

मौत है अपनी यारी की तरह

हॉं ,जीने की कई वजह है

ये दुनिया है फूलवारी की तरह !!!

ghazal on love_

तुम भी हमारी तरह

लौट आते हो

उस अंधेरे में

सितारों के बीच

ढूंढ लेते हो कोना

जहां तुम्हारे मन के अंधेरा

सुकून पाता है !!!!


बन जाऊं वो दीवार

जिस पर तुम टिक सको

घंटों

और तुम्हें अहसास न हो

मैं दीवार हूं

यदि जान जाओगे

पहचान जाओगे

तो अलग हो जाओगे

दीवार से भी

और मेरे सहारे में

तुम्हें सुकून नहीं मिलेगा

इसलिए

दीवार की तरह

बना रहूं

बेजान !!!!


कितना आश्वस्त हो जाता है

एक शराबी

जिसने दो पेग मिल जाने के बाद

मस्ती में झूमने लगते हैं

आज का दिन सफल

कल के प्रति आश्वस्त

कल फिर हो जाएगा

जुगाड़

इतने आश्वस्त और कोई नहीं होता

जितने शराबी होते हैं 

कोई आफिस जाने वाले

अपने बॉस से डरा रहता है

डर कर काम किया जाता है

छुट्टी मिलना दो चार दिनों का भी

घंटे भर का लगता है

छोड़ नहीं पाता

अपने काम

ध्यान में रखना पड़ता है

लेकिन शराबी आश्वस्त हैं

किसी की चिंता नहीं !!!!



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---राजकपूर राजपूत''राज''



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