साहित्य और जिम्मेदारी

 साहित्य केवल विचारों की अभिव्यक्ति नहीं है । जो मन में आए कह दिए । साहित्य एक जिम्मेदारी है । जिसमें कहने से पहले और पढ़ने के बाद की असर की समझ होनी चाहिए । वर्ना आजकल तो कई ऐसे साहित्यकार है जिसे पढ़कर इतना पछतावा आता है कि खुद में ही मुर्खता का अहसास होता है । एक दिशाहीन,, उद्देश्यहीन,, जो केवल अच्छे संस्कारों को तोड़ने का काम करते हैं । आंदोलित करके छोड़ देते हैं । बिना मानसिक संतुष्टि के !!!!!


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