जीने की वजह आपकी तलाश है । जहाँ मिल जाय । वही कुछ पल ठहरा जाय । अपने सुकून की तलाश में इंसान हमेशा भटकता है ।इसी उम्मीद में,, वहाँ कुछ है । हालाकि रोचकता,, हृदय में उत्साह,, बेसब्री ,,प्राप्ति से पहले रहती है । मिल जाने के बाद कमी लगती है । मानों भूख की पूर्ति के बाद अनिच्छा के भाव जागृत होना । जिससे चाव का खत्म होना । इसलिए मैं सोचता हूँ,, जीने की वजह आपकी आत्मसंतुष्टि की तलाश होनी चाहिए । जिससे मन की बेचैनी खत्म हो जाएगी । जो मिला है उसी से पूर्णता की मिल जाएगी । जिससे भटकाव कम होगा,, व्यर्थ के ग़म कम होगा ।
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