जैसे खिला हुआ गुलाब है

जिंदगी , एक किताब है
जैसे खिला हुआ गुलाब है

महकाओं अपनी बगिया सारी
यहॉं सुख दुःख का हिसाब है

सबकी कोशिशों की बात होगी
अवसर ढूंढने वाले ही नवाब है

सार्थक जन्म उसी का कहलाएगा
जिसने मेहनत से बनाया नसीब है
---राजकपूर राजपूत''राज''
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