क्या हम चिकने घड़े हो रहे हैं ?today's knowledge article hindi जिसमें पानी की कोई बूंद नहीं ठहरती है ! फिसल कर गिर जाते हैं । ठीक ऐसे ।
तो इसका सीधा सा जवाब है ,हॉं ! इसका मूल कारण ही घड़े का चिकनापन होना है । उसे बनाया ही गया है इस तरह से कि पानी की कोई बूंद ही ना ठहरें ।
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आज के वर्तमान स्थिति में लोग भी चिकने घड़े के समान हो गए हैं । जिस पर किसी बात का असर ही नहीं होता है ।अपनी मानसिकता को इस तरह से सेट करके रखें हैं कि किसी बात का फर्क न पड़े । वे जो भी कार्य करते हैं सब जानते हैं । उसको नैतिक/अनैतिक कार्यों की पूरी पहचान है । जैसे- रिश्वत लेना और देना , जैसे झूठ बोलना,, चालाकियों से , खुद को बेहतर मानना, किसी कम्पनी के विज्ञापन जैसे,, बढ़ा- चढ़ा कर दिखाना ताकि सबको प्रभावित कर सकें और उसका व्यापार चल सके ।
उद्देश्य जीवन का
जिसका पैसा कमाना ही मकसद है ,, जीवन का ।
क्योंकि ये पढ़ें लिखे लोगों की सभ्यता है जो चाय-पानी के खर्चे के रूप में है या यूॅं कहिए- व्यवहार है । आपसी संबंधों का । जो व्यवहार नहीं करते उसका काम नहीं होते हैं । चक्कर लगाकर थक जाएंगे । जहॉं भी चलन है । कोई उसकी बातों को सुनने वाला नहीं मिलेगा । सभ्य लोग या फिर पढ़ लिखे लोग ही इसे ज्यादा अपनाएं हैं । अनपढ़ लोगों के अवसर नहीं है वरना वे कैसे रहते कह नहीं सकते !! मौका जिसे भी मिलते हैं उसे छोड़ते नहीं है ।
शिक्षित होने के तरीके
ये शिक्षित होने का नया मापदंड है । स्वयं का विकास । अपने हितों की पूर्ति के लिए कुछ भी कर जाओ । इसकी प्राप्ति कैसे की जाए । सोच बराबर चलती है , मन में । दिल के जज्बातों को दबाया जाता है ताकि बौद्धिक हथकंडे अपनाकर उसकी प्राप्ति की जाय । हॉं , ऐसा भी नहीं है कि उसे मानवीय संवेदनाओं का ज्ञान नहीं है । वो जानते हैं लेकिन मानते नहीं । अपने दिमाग से सभी संवेदनाओं का उपयोग करते हैं । लोगों के हृदय में पैंठ जमाने के लिए । सबका हितैषी बन कर । हमारे बीच में रहते हैं । लेकिन मानवीय संवेदनाओं को हासिए में रख कर !!!
---राजकपूर
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