मैं कविता इस लिए लिखता हूॅ॑ my poetry my feelings

my poetry my feelings   
 मैं कविता 
   इसलिए नहीं लिखता हूॅ॑
   कोई समझे या पढ़ें मुझे
   मैं कविता 
   इसलिए नहीं लिखता हूॅ॑
   कोई मेरी तारीफ में 
   दो शब्द कहे मुझे
   मेरी कविताएं तो
   स्वतः प्रगट हो जाती है
   मेरी करूणा जाग जाती है
  अनुराग पैदा हो जाते हैं
   जहाॅ॑ दर्द दिख जाते हैं
   वहीं पर मैं दिख जाता हूॅ॑
   और कुछ लिख जाता हूॅ॑
   मेरी कविताओं के रूप में
   अपने भावों को
   स्पर्श कर जाता हूॅ॑
   अपनी अनुभूतियों में
   दूसरों का दर्द , तड़प , पीड़ा को
   खुद के अंदर पाता हूॅ॑
   इसलिए कविता लिख जाता हूॅ॑
   जिसे तुम पहचान नहीं पाते
   और मुझे कलाकार
   मान बैठे
   एक कवि के रूप में
   मुझे जानकर !!

my poetry my feelings 

मेरी कविता
मेरी आह नहीं है
जो किसी के दिल तोड़ने के बाद लिखी जाती है
मेरी कविता तो अवलंबन है
उन अहसासों पर
जहां जीवन बसता है
बेहतर, सुकून के साथ
जहां किसी के शिकवा शिकायत नहीं है
उनके दर्द, समस्याओं का हल है
कोई ठहरें तो सही
मेरी कविता के साथ !!!!
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  ---राजकपूर राजपूत''राज''
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