उपयोगिता और मनुष्य Utility and Man Articles

Utility and Man Articles इस तरह से विचार चला है कि मनुष्य ही श्रेष्ठ है , इस दुनिया में । मनुष्य को प्रकृति में जितने भी संसाधन है । उसे भोग करने का अधिकार है । मनुष्य को प्रकृति का दोहन अपने लिए करना चाहिए ।सारी सृष्टि में मनुष्य ही श्रेष्ठ है  । जीवजंतु उसकी कृपा पर निर्भर है । दया की दृष्टि उसकी सोच पर निर्भर है । 

Utility and Man Articles


मनुष्य को अपने प्रसाधनों से लेकर खानपान सबमें व्यक्तिगत छूट है । आजकल पर्सनल लाइफ में हस्तक्षेप करना कोई बरदाश्त नहीं कर सकते हैं । न जाने कितने जीव जंतुओं को अपने स्वास्थ्य,, प्रसाधन,, खाने पीने के लिए , मार देते है ।जिव्हा और व्यक्तिगत  सौन्दर्य को बरकरार रखने के लिए ,आजकल कहाँ कोई सोचते हैं  । किसी की पीड़ा को । एक वस्तु है जीव जंतु । जिसकी पीड़ा व तकलीफ का अहसास किसी को नहीं है । यहाँ बहस होती हैं कि जानवरों को खाने का हक उसका अपना है । ऐसे में पशुओं की सुरक्षा की बातें केवल बाते हैं ।

कुछ लोग जानवरों को खाना व्यक्तिगत अधिकार मानते हैं  । यदि आपका प्रेम जानवरों के प्रति हैं तो उसे आपके सामने ही भोजन कर लेंगे  । जिसका विरोध इस जमाने के बुद्धिजीवियों से नहीं कर सकते हैं  । वो  अपने तर्को और बौद्धिक क्षमता से आपको थका देंगे  । अपने निजी स्वार्थों और शौक की पूर्ति के लिए हजारों तर्क देंगे । जिसका जवाब आप ढूंढते रह जाएंगे ।
हाँ उपयोगिता की नजर में आज भी चलन है । शौक रखने वाले कह सकते हैं । लेकिन सभी जीव जंतुओं के लिए मानसिकता तैयार नहीं है । 

उपयोगिता समय-समय में बदलती रहती हैं  । कल तक जिस जानवरों की पूजा की जाती थी  । खेती में मशीनों के उपयोग से  महत्वहीन प्रतीत होने लगे हैं  । अब लोग ऐसे जानवरों को पालना व्यर्थ मानते हैं  । धीरे -धीरे ये जानवर जो हमारे पूजनीय पशु थे  ।महत्व की कमी के  उपेक्षित हो रहा है  । हमारे समाज से हमारे जीवन से ।
आदमी के पास इतना समय नही है जो उसकी सेवा कर सके  ।जिसकी उपयोगिता महसूस नहीं होती,,वह बोझ हो जाता है जीवन में !!!

हस्तक्षेप कर रहा है 

किसी मान्यताओं को 
 न मानने के लिए 
जो खुद मानते नहीं है 
धर्म-कर्म को 
सलाह दें रहा है 
सियासी पंथ 
अपना एजेंडा चला रहा है 
किसी को पैसा देकर 
किसी को बहला कर 
हिन्दू मान्यताओं पर !!!!!

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-राजकपूर राजपूत 
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