हर आदमी की पहचान नहीं
एक निर्माता की तरह तटस्थ
कुछ नियमों के अधिनस्थ
भीतर भीतर महसूस करें
अपनो के खातिर जीए मरे
जो कह ना सके दिल की बात
बेशक मिले चाहे लाख आघात
खुद की ख्वाहिशें अधूरी है
अपनो की खुशी जरूरी है
हर पल अकेला खड़ा होता है
वहीं असल पुरुष होता है
---राजकपूर राजपूत''राज''
1 टिप्पणियाँ
Bahut hi sundar rachana 🙏
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