मैंने महसूस किया है

मैंने महसूस किया है
उस प्रेम को
तेरे साहचर्य में
अपनी स्मृति पटल पे
अंकित होती हुई
उस प्रतिबिंब को
सुकून के क्षण को
व्याप्त प्रेम को
तेरे साहचर्य में
ठहराव की प्राप्ति होती है
मेरी आस की पूर्ति होती है
तेरे साहचर्य में
मुझे किसी की जरूरत नहीं 
तेरे सामने ये दुनिया कुछ नहीं
इसलिए..
अपनी धुरी में
तुम्हारे इर्द गिर्द घूमती हूॅ॑
अनंत काल तक
तेरे प्रेम के लिए
जिसके बिना
सारी दुनिया निरर्थक प्रतीत होती है
मुझे... !!!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ