क्या रक्खा है नाम से

महानता है काम से
क्या रक्खा है नाम से

असलियत छुपती नहीं
बस एक कप जाम से
 
उसकी औकात है कितनी
चंद पैसों में धड़ाम से

ऑंधियां रूख़ मोड़ लेगी
हर कोशिश में आराम से

जो कर गुजरते हैं राज
पहचानें जाते हैं नाम से

क्या रखा है नाम से

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