Tere Bina jindagi ghazal hindi
तुम्हें छोड़ने की कसम थी लेकिन ये फैसला ना रहा
मोहब्बत दबी रही और ये दिल तेरे लिए दीवाना रहा
लाख कोशिश की अपने दिल को बहलाने के वास्ते
जब भी इश्क़ की बात हुई तेरे सिवा कोई दूसरा ना रहा
सितम ये नहीं है कि तुने मुझे दिए हैं मेरे महबूब
मेरा दिल ही समझें नहीं जिसके बिना मैं कुछ ना रहा
अब तेरे चर्चे करके भी मुझे मिलेगा क्या
न दुश्मनी रही न प्यार ही मेरे लिए तो ये जहां ना रहा
तुझे बदनाम करूं ये मेरी मोहब्बत की तौहीन है
प्यार जिंदा रखना चाहता हूॅं लेकिन दिल दीवाना ना रहा
---राजकपूर राजपूत''राज''
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1 टिप्पणियाँ
Bahut hi sundar rachana
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