जब तुने मुझे देखा था travel and you poem

travel and you poem 

जब तुने मुझे देखा था 


मैं वहीं ठिठका खड़ा था
जब तुने मुझे देखा था

उस वक्त मुझे ख्याल हुआ था
ये मुझे क्या हुआ था

तन मन सब भीग गए
मेरे हृदय में तुम बस गए

उस वक्त लगा मुझे ऐसे
मेरी जिंदगी हो तुम जैसे

हृदय के भीतर प्रेम जगा था
हृदय ने तब ये माना था

कौन पराए कौन सगा था
भीतर भीतर नयन बहे थे
जो रो रो तुम्हें कहें थे

ठहरो, ज़रा ! मेरी जिंदगी
तुम पास आओ मेरी जिंदगी !!!

जब तुमने मुझे देखा था
उस वक्त ऐसा लगा था
मानो मुझे जीने की राह मिल गई
मेरे सफर का मंजिल मिल गई
ठहरना है यहीं मुझे
जब तुने मुझे देखा था

एक धागा हमें बांध रहा था
एक हो जाएं कह रहा था
चलना है साथ - साथ सफ़र पे 
जीने की डगर पे
भरोसा मिल रहा था
जब तुने मुझे देखा था !!!

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---राजकपूर राजपूत
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