प्रेम बंधन नहीं Prem Kavita Hindi

Prem Kavita Hindi 


प्रेम बंधन नहीं
और बंधन है तो प्रेम नहीं
जिंदगी सबकी है
किसी का अधिकार तो नहीं
लोग भुल जाते हैं
अपनी खुशी में
पिंजरे में बंद है तोता
समझा दो उसे
ये उसका घर तो नहीं
उन्मुक्त गगन में उड़ना
जिसने जाना है
खुबसूरती देख
उसकी नजर बुरी तो नहीं
आजाद है सभी यहां
धरती किसी एक का तो नहीं !!!

प्रेम तो नहीं है
इसलिए शब्द के भाव सही नहीं है
उसके फ़िक्र करने की अदाएं
रिश्ते प्राथमिकता के आधार पर
बंटा तो नहीं है
मैंने जब भी बातें की
उसने जम्हाई ली
उसका ख्याल कहीं और तो नहीं है
क्या समझाएं उसे जिसमें चाहत नहीं है
कोई जोर जबरदस्ती तो नहीं है !!!


---राजकपूर राजपूत''राज''

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