samjhadari par Kavita Hindi-
समझदारी ही जीवन है
अपना सफ़र जारी रखो
खुद से तुम यारी रखो
झुक जाएगा आसमां भी
इतना तुम खुद्दारी रखो
दुनिया की चाहत है तो
जेब अपना भारी रखो
ना फेंक कपड़े इधर उधर
घर में एक अलमारी रखो
हर कदम पे खतरा है यहाॅ॑
अपनी नज़र व्यापारी रखो
कोई नहीं यहाॅ॑ तेरा राज़
इतना तुम समझदारी रखो
---राजकपूर राजपूत''
1 टिप्पणियाँ
वाह वाह अति सुन्दर रचना
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