Rise Above Meanness Kavita इंसान अपने मतलब निकालने में इतने व्यस्त हैं कि उसे किसी चीज की परवाह नहीं है । जब देखो मतलब और दूषित इरादों को थोपते हुए मिल जाते हैं । इसी पर एक कविता हिन्दी में 👇👇👇
Rise Above Meanness Kavita
मतलब से ऊपर उठा होता
तो तू ऐसा नहीं होता
मुझे महसूस हो जाता
तेरे शब्दों से
अपनापन
हालांकि
शब्द मीठे हैं
लेकिन तीखी हैं
तेरी आलोचनाएं
नफरतों भरी
थकाते हैं
मुझे जगाते नहीं है
तोड़ते हैं
उस वक्त जाना
तू साजिश में शामिल है
मुझे मारने के लिए !!!!
मैं छोड़ देता
सोशल मीडिया को
बुरा समझकर
लेकिन मैं जानता हूं
मेरे बच्चे
उसमें बैठा है
जिसमें सियासी पंथ, लोग
बैठा है
जिसे बताना है मुझे
अपने बच्चे को !!!!
मतलब से ऊपर उठ
और देख तुने क्या किया है
तुम्हें अहसास होगा
ये ठाठ बाट किसी के
हक़ को छीनकर पाया है
खुद को छोटा करके देख
अपनी महंगी कार से उतरकर देख
तुम्हें अहसास होगा
जिसकी कमाई छीनकर
तुम जो घूप से बचते हो
वो नंगे बदन चल रहा है इसी घूप में
जिसे मालूम नहीं कौन है कार में
वो फिर ढूंढ रहा है अपनी जिंदगी
इसी घूप में
तुम्हें आसान होता होगा
कहने में कई शब्दों को
जिसका अर्थ मालुम नहीं तुमको
यदि जानते भी हो तो बहरे हो
अपनी लालच में ॲ॑धे हो
किसी की जज़्बातों की परवाह नहीं
किसी के प्रति आह नहीं
लालच में डूबे हुए हो
सिर्फ़ सियासत करते हो !!!
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---राजकपूर राजपूत''
1 टिप्पणियाँ
Bahut hi sundar rachana
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