मैं वहीं लिखता हूॅ॑ I Write There Kavita

I Write There Kavita 

मैं वहीं लिखता हूॅ॑
जहाॅ॑ मैं दिखता हूॅ॑

किसानों के खेतों में
बच्चों के झुनझुने में
मैं खिलखिलाता हूॅ॑

मैं वहीं लिखता हूॅ॑
जहाॅ॑ मैं दिखता हूॅ॑

पीपल के छांव में
बूढ़े बरगद के गांव में
दिन के उजाले में
रात के अंधेरे में
झीगुरें की आवाजें सुनता हूॅ॑

मैं वहीं लिखता हूॅ॑
जहाॅ॑ मैं दिखता हूॅ॑

पंक्षी की उड़ान में
कोयल के गीत में
खुले नीले आसमान में
चाॅ॑द का दर्द सुनता हूॅ॑

मैं वहीं लिखता हूॅ॑
जहाॅ॑ मैं दिखता हूॅ॑ !!!!

I Write There Kavita



वहीं लिखता हूं 
जैसे लिखते हैं सब 
एक महिला की 
एक ग़रीबी की 
बेरोज़गारी की 
धर्म पर तर्क 
फर्क का अंतर 
पंथ देखकर 
बोलने की हिम्मत है 
मेरी 
आजकल लिखते हैं अब 
मैंने अलग कहां लिखे अब 
किसी एजेंडे धारियों 
फंसे हैं जब !!!!

पूजें जाएंगे 
बुरे लोग 
अच्छे लोगों को 
कोई गम्भीरता से नहीं लेता 
यहां भीड़ है बुरे लोगों की !!!!!

बहुत पूजें जाते हैं 
विदेशियों के वाक्य 
बहुत बड़ी सूक्तियों की तरह 
जिसे हीनता है 
अपने देश पर !!!!!

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---राजकपूर राजपूत''राज''

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