सियासत Politics Poem Hindi

Politics Poem  Hindi 
आपकी सियासत
इसलिए चलते हैं
झूठ का सहारा
कई बार लेते हैं
सच्चाई दबी रहे
इसलिए अफवाहों का
प्रचार कर देते हैं !!!

बहलाना सरल है 
झूठ का सहारा भी सरल 
सच की आड़ लेना भी सरल है 
गिर जाने के बाद 
निर्लज्जता के साथ खड़ा होना 
कठिन है 
लेकिन बार-बार के अभ्यास से 
लाया जा सकता है 
जब तक भीड़ इकट्ठा न हो 
नायक नहीं बन सकते 
उन लोगों का 
जो सोचते कम है !!!

सियासत में सब चलता है 
कह दिया 
कहते ही आदमी गिर गया 
सियासत की मान्यताएं ही ऐसी है 
लोग मानते हैं 
गिरें हुए सियासतदानों को !!!!

राजनेताओं की सफलताओं ने 
सामान्य जनता को प्रेरित किया 
सियासत को अपनाने के लिए 
इसमें तप कम है 
सुविधाएं ज्यादा 
कर्त्तव्य कम 
अधिकार ज्यादा 
-राजकपूर राजपूत "राज"


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