human vision
मनुष्य की दृष्टि ही निर्धारण करती है कि वे कैसे समाज का निर्माण करें
निस्संदेह,,,,इस धरती पर मनुष्य ही श्रेष्ठ है । मनुष्य चाहे तो अपने अहसासो को बढ़ाकर,,,,सुक्ष्म दृष्टि प्रज्वलित कर,,, अपनी पूर्णता को प्राप्त कर सकते हैं । वह चाहे तो इस दुनिया को ही बेहतर बना सकते हैं । हालांकि की यह बहुत कठिन है । लेकिन तलाश तो कुछ लोग करते हैं ।
मनुष्य ही है जो अपनी दुनिया से लेकर दूसरे की दुनिया को नर्क बना सकते हैं । ताकत और बुद्धि से हर परिस्थिति को अपने अनुकूल कर सकते हैं । कुछ मासुम अपनी प्राथमिकता आवश्यकताओं में इस तरह उलझे रहते हैं कि उसके पास फुर्सत ही नहीं किसी के दुषित इरादों को समझें । इसी बात की फायदा चालक व्यक्ति उठा कर उसके भावनाओं को छलनी कर सकते हैं । यह बहुत आसान है ।
बाकी आपकी मर्जी,,, रास्ते आपके सामने है,,,चयन करो
नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
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