खुबसूरती

खुबसुरती सबको पसंद है लेकिन वही खुबसूरती यदि बदसूरती में बदल जाते हैं तो हृदय के भाव भी बदल जाते हैं । ये भी सच है । लेकिन यह आकर्षण है जो खुद के भावों में स्थित होने से प्रतीत होती है । लगातार खुबसूरत चीजों को देखने से कीमत घट जाते हैं । खुबसूरत वादियों में रहने वालों को उतना अहसास नहीं होता जितना पहली बार देखने वाले व्यक्ति को होता है । उसके मायने अलग है जो हमेशा रहते हैं उसके मायने अलग है । 
खुबसूरती का भाव सदा बना रहे इसके लिए जरूरी है कि आपकी आंतरिक सुंदरता स्थिर हो । हर खुबसूरत चीज कई बार बदसूरत नजर आते हैं ।
---राजकपूर राजपूत''राज''
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