घड़ी भर भी तुम ठहरो ज़रा

घड़ी भर भी -


घड़ी भर भी तुम ठहरो जरा
जी भर निहार लूॅ॑ आओ जरा

मेरी प्यास अभी अधूरी है
बंजर जमीन हूॅ॑ बरसो ज़रा

ऑ॑खें मेरी पथराई है देखें बिना
ऑ॑खों की रौशनी बन जाओ ज़रा

ये क्या तुम आए और चल दिए
थका हुआ आदमी हूॅ॑ सम्भालो ज़रा

अभी कुछ पल की सांसें बची है
मेरी दिल की धड़कनों को सुनो जरा 

---राजकपूर राजपूत''राज''
घड़ी/भर/ठहरो/जरा


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