ना जाने ये धरती-आसमान फिर कब मिलेंगे
मुश्किल होता है सफ़र तन्हा-तन्हा तेरे बगैर
चले गए चाॅ॑द, सितारों ने कहा फिर कब मिलेंगे
चुनावी का माहौल में बहुत कुछ मिल जाता है
वोट देने के बाद नेता ना जाने फिर कब मिलेंगे
मुद्दतों से तरस रहा था शायद कुछ मज़बूरी थी
कतार में खड़े है शराब के जैसे फिर कब मिलेंगे
बेशक ये दौर बुरा है और आसमान नीला हो गया
चिड़ियां चहचहा रहे हैं पेड़ों पर फिर कब मिलेंगे
---राजकपूर राजपूत''राज''
0 टिप्पणियाँ