मौसम बदलेगा और कई फूल खिलेंगे
मेरे इश्क को भूलना आसान नहीं होगा
ऑ॑सू ढूंढेगा अपना प्यार ना जाने कब मिलेंगे
दिन का थका सूरज चला गया क्षितिज पार
कहके अंधेरी रात के बाद सुबह फिर मिलेंगे
तनहा हुआ चाॅ॑द और दिल बहुत रोया है
इश्क़ में शबनम के मोती जमीं पर मिलेंगे
ना करो परवाह जमाने में क्या रक्खा है 'राज़'
जिंदगी है यारों जिंदगी में कई रंग मिलेंगे
मुसाफिर है सभी यहाॅ॑ चलते जाना है काम
टकराना जाओ ऑ॑धियों से मंजिल मिलेंगे
-----राजकपूर राजपूत'राज'
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