लगता है कि सच्चाई दबा रहे थे
उसकी बातों में फ़िक्र थी मेरी लेकिन
दिल से खुद के इरादे सुलझा रहे थे
सारी सच्चाई सबके सामने थी मगर
वो आदमी सियासत दिखा रहे थे
तालीम किताबों की पढ़ना बंद कर दो
पढ़े- लिखे हैं मगर क्या दिखा रहे थे
गरीबों के पास क्या मिलेगा केवल भूख
बेचारों को जज़्बातों से लड़ा रहे थे
सहनशीलता नहीं जिसमें और बातें बड़ी
देख लो वो आदमी हमें सिखा रहे थे
जवाब एक ही था उसके कई लफ्जों का
सीधा है लेकिन गोल गोल घूमा रहे थे
खुद की गलतियों पर शर्म नहीं आई
अच्छाइयों पर उंगलियां उठा रहे थे
अच्छी बातों का मतलब कहाॅ॑ है राज़
जानते हैं लेकिन सबको डरा रहे थे
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