उलझना नहीं चाहता तुम्हारे पास

उलझना नहीं चाहता तुम्हारे पास
क्योंकि एक जिंद है तुम्हारे पास

रटने की प्रवृत्ति तुम्हारा बचकाना है
जिरह करना मुश्किल है तुम्हारे पास

आया हूॅ॑ दिल लेके तेरे शहर में दोस्त
सुविधा की जिंदगी में है तुम्हारे पास

यहाॅ॑ रिश्तों को लूटते हैं सब दिमाग से
नादान है वो दिल दे बैठें तुम्हारे पास
-----राजकपूर राजपूत'राज'




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