कुछ शब्दों को रख देना था

कुछ शब्दों को रख देना था
मेरे लिए कुछ कह देना था

आना चाहा था तेरी बाहों में
प्रियतम तू है जिस राहों में
कुछ फूल चुन के रख देना था
मेरे लिए कुछ कह देना था

तड़पते हृदय और अधरे प्यासी
जैसी मीरा थी मोहन की दासी
दर्द मेंं प्रीत कुछ रख देना था
मेरे लिए कुछ कह देना था

सदियाॅ॑ बीती अखियाॅ॑ निहारे
रो-रो के बस तेरा नाम पुकारें
 ये दर्द भी कुछ हर लेना था
मेरे लिए कुछ कह देना था

जी लेता मैं भी जिसके सहारे
ढाई अक्षर तेरे प्रेम के निराले
प्रेम भरें शब्दों को रख देना था
मेरे लिए कुछ कह देना था

-----राजकपूर राजपूत
कुछ शब्दों को रख देना था


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